"If you fail, never give up because F.A.I.L. means "first Attempt In Learning"; End is not the end, in fact E.N.D. means "Effort Never Dies"

Book Review

 

BOOK REVIEW



BIBLIOGRAPHIC DETAILS:

NAME OF BOOK: Twelth Fail

NAME OF THE AUTHOR:    Anurag Pathak

NAME OF THE PUBLISHER:   Neo lite Publisher 

PLACE OF THE PUBLICATION: Gwalior 

YEAR OF THE PBLICATION: 2019

PRICE OF THE BOOK: 185

TOTAL PAGE NO.: 146

LANGUAGE: Hindi 

ACCESSION NUMBER: PMS-032

LIBRARY LOCATION

 

ABOUT THE AUTHOR (50-100 WORDS)

लेखक परिचय पुस्तक के लेखक श्री अनुराग पाठक का जन्म 5 अगस्त क्षेत्र को ग्वालियर क्षेत्र में हुआ आपने हिंदी साहित्य में पीएचडी किया, एक कहानी संग्रह व्हाट्सएप पर क्रांति पूर्व में प्रकाशित हो चुका है, यह पुस्तक उनकी दूसरी कृति है । 

(BIODATA AND OTHER AVAILABLE COLLECTION OF THE AUTHOR/AWARDS IF ANY)

SUMMARY OF THE BOOK (200-300 WORDS)

यह कहानी है बुंदेलखंड के एक छोटे से गांव बिलग्राम में रहने वाले बालक मनोज कुमार शर्मा की है,  जो कक्षा 12 में नकल न होने के कारण फेल हो जाता है, जीवन के अलग अलग मोर्चों पर स्थिति प्रतिकूल होने पर भी मनोज का रुख हमेशा सकारात्मक रहता है जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव का सामना सदैव   दृढ़ता के साथ करता है और अपने लक्ष्य को ओझल नहीं होने देता, यह कहानी है मनोज कुमार शर्मा के जीवन के रूपांतरण की, कैसे मनोज अपनी गरीबी और किस्मत  से लड़ा और कैसे इतने सारे प्रतिरोध  होने के बावजूद हार नहीं मानी और उसने 12th फेल से आईपीएस  तक के पुरे सफ़र को तय किया |

मनोज को  कहां से ऐसा मोटिवेशन मिला, एक दिन उसके  के जीवन के सारे संघर्ष पूरे हुए और लास्ट अटेम्पट में अब तक के तमाम उतार-चढ़ाव को पार करने के बाद वो देश की सबसे बड़ी परीक्षा को पास कर गया. 

 

READER PERSPECTIVE ABOUT THE BOOK (30-50 WORDS)

  उपन्यास की भाषा सरल  हिंदी है पर  ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने की वजह से कहीं-कहीं बुंदेलखंडी भाषा का प्रयोग किया गया है. मनोज के जीवन को उपन्यास में बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है, जिसकी वजह से पाठकों में रोमांच बना रहता है. 

(READERS IMPRESSION ABOU THE BOOK)

FORMATING STYLE OF THE BOOK AND LITERATURE CONSTITUTION (30-50) WORDS

 आखिर में मनोज के इंटरव्यू को विस्तृत वर्णन हिंदी भाषी प्रतियोगी छात्रों की किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. उपन्यास के आखिरी पेज पर देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास करने के बाद छात्र के प्रति समाज के विचारों में परिवर्तन का बड़ी ही चतुराई से किया वर्णन किया है.

(LANGUAGE, VOCABULARY,FONT, ILLUSTRATION ETC)

RECOMMENDATION OF BOOK (30-50 WORDS)

 

(REASON OF RECOMMENDATION TO OTHER)

ENHANCING THE VALUE OF THE BOOK

 यह पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए ? इसके लिए मैं पुस्तक की भूमिका के लेखक श्री विकास दिव्यकीर्ति जी की पंक्तियों को दोहराना चाहूंगा और उनके अनुसार हर युवा को इस उपन्यास से गुजरना चाहिए । सिर्फ इसलिए नहीं कि वह यूपीएससी में सफलता के गुर सीख सके; या यह समझ सके की स्कूल के दिनों में पढ़ाई के प्रति घोर लापरवाह रहने और फेल हो जाने के बावजूद कोई जुझारू व ज़िद्दी इंसान कैसे देश की सबसे शानदार नौकरी का स्वप्न देख सकता है? यह किताब इसलिए भी जरूरी है ताकि हमें जिंदगी को समझने जीने और निभाने की कला समझ आए । मेरा दावा है कि इस उपन्यास को ठीक से पढ़ लेने के बाद आप ठीक वही इंसान नहीं रह पाएंगे जो इसे पढ़ने के पहले थे, आप पाएंगे कि आपके अंदर कुछ बुरा था जो पिघल गयाकुछ अच्छा था जो मजबूत हुआऔर अब आप जिंदगी के प्रति पहले से कुछ ज्यादा सहज और आशावान हो गए हैं

GIVE RATING TO THE BOOK BASED ON 5 STAR

PURPOSE OF BOOK REVIEW (30-50)


 वह पथ क्या पथिक  कुशलता क्या,  जिस पथ पर बिखरे शूल न हो |

नाविक  की धैर्य परीक्षा क्या यदि धाराएं प्रतिकूल न हो ||

अंत में पुस्तक के प्रेरणादायी उपशीर्षक के साथ अपनी लेखनी को विराम देता हूँ “हारा वही जो लड़ा  नही “

(MENTION LEANING OURCOME FROM THE BOOK  )

PRESENTATION

 

GIVE SMALL BIODATA OF READER

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